एक शाम दोस्तों संग

सुनीता अग्रवाल पिंकी 

राँची, झारखंड





आज भी ऐसी शाम हम 

दोस्तों के बीच अक्सर बीतती है।

या यूँ कहे शाम बितना चाहती है॥


जहाँ कुछ नहीं हो,न फ़ेसबुक

न वॉट्सअप,न तेरी मेरी॥


न कुछ बातें इधर उधर की

बस दोस्तों का साथ हो॥


बैठे मिल कर साथ हों।

थोड़ी धीमी कभी ऊँची 

आवाज़ हो॥


दिल में सबके 

प्यार का गागर हों॥


अपनेपन का झाँको तो 

सागर हो॥


थोड़ा सा बस मिल बैठ कर 

हँस बोल बतला लो॥


बातों बातों में ही शाम ढलने लगेगी।

याद घर की चिंता बच्चों की

होने लगेगी॥


बांध कर समय को उस पल को

छोटे से बॉक्स में 

बंद फिर कर देते है॥


वादा फिर से ले कर

जाने की अनुमति देते है॥


कल शाम आएगी

आएँगी तो दोस्तों के साथ॥


चंद पल बिताने

मुस्कुराने ही आएगी॥



एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने