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✍️ पूर्णिमा रीहिल |
जीवन है मेरा तू ही मेरी जान है ,
गर्व से जिसे कहूं, तू मेरा वो अभिमान है l
जलता है जो हर पल मेरे अंदर ,
तू वो दीपक दीप्तिमान है l
भरोसा है तू मेरा, आसरा भी है ,
तू मेरे चारों धाम है l
चाहती हूं तुझे मिले कामयाबी की वो ऊंचाई ,
जितना ऊंचा सातवां आसमान है l
नाम हो तेरा इस जग में रोशन ,
जिस तरह सूरज प्रकाशमान है l
ना कभी झुकने देना तू सिर मेरा ,
कि प्यारा मुझे अपना आत्म सम्मान है l
गलत राह बुलाएगी, बुरी संगति में भी तू पड़ जाएगी ,
संभालना खुदको और निकालना भी कि तुझ जैसा बनना ना जाने कितनों का अरमान है ।
कितनो का मार्गदर्शक है तू ,
मेहनत का प्रतिमान है l
दौड़, पढ़ तू बढ़ आगे
जब तक ये सांसे गतिमान है l
माना कि नासमझ है तू ,
चंचल है नादान है।
कृति है तू निर्माण कर अपने भविष्य का,
कि देखकर तुझे लोग कहे कि इससे इसकी मां की पहचान है l
तू जीवन है मेरा तू ही मेरी जान है ,
गर्व से जिसे कहूं, तू मेरा वो अभिमान है l