‘का कहूँ तोसें पिया,
जियरा कैसो मुसकाए,
जब फागुन के रंग लगा,
मोहे तू, करजवा सें लगाए.................
लाज मोरी, मौंसै छूटी जाए,
गरे लगकैं सब सुध-बुध गई हिराय,
ऐसे सिमटकैं अंग-अंग फरके,
तुम बिन चैन न आए ।
जब फागुन के रंग लगा,
मोहे तू, करजवा सें लगाए.......
लाल,पीले, नीले, हरे,गुलाबी रंगन सैं,
खूब रंगी चुनरिया मोरी,
गालन पै मल दियो ऐन गुलाल,
अबकी होली मैं रंगियो ऐसो पिया,
चोखो प्रेम रंग छूटे न छुड़ाय ।
जब फागुन के रंग लगा,
मोहे तू, करजवा सें लगाए.................
हरसा-हरसा कैं बावरे से नैना बंद,
करैं तोरे मन से मन की बतियाँ,
तुझ बिन सूने दिन और सूनी रतियाँ ।
लगकैं गरैं से सब दई बताय ।
जब फागुन के रंग लगा,
मोहे तू, करजवा सें लगाए.................
भावना’मिलन’
अध्यापिका लेखिका
मोटिवेशनल स्पीकर
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विचार