आ गई टाइप 5 डायबिटीज

गज़ाला शाहीन

आज देश के लाखों युवा डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं । सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि युवाओं को ये पता ही नहीं है कि उनको डायबिटीज है । 

डायबिटीज के बारे कहा जाता था कि ये एक राजरोग है जो केवल अमीर लोगों को ही होता है । 

Indian Council of Medical Research के एक अध्ययन से पता चलता है कि 1970 के दशक में देश के शहरी क्षेत्रों में लगभग 2% और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 1% लोगों को ही डायबिटीज होती थी । लेकिन आज देश के हर पांचवें भारतीय को डायबिटीज है । जबकि हर छप्पनवें भारतीय को डायबिटीज होने की संभावना है । 

अभी तक भारतीय लोग TYPE-1 और TYPE-2 डायबिटीज से परेशान थे । अब एक और डायबिटीज आ चुकी है जो देश के 24 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के लिए एक बड़ा अलर्ट है ।   

अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ यानी IDF ने आधिकारिक तौर पर डायबिटीज के एक नए रूप को मान्यता दे दी है । इस डायबिटीज को TYPE 5 डायबिटीज कहा गया है । 

कुछ शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार यह बीमारी साल 1955 में जमैका में पाई गई थी । 70 साल से मौजूद इस बीमारी को अभी तक माना नहीं जा रहा था । दरअसल इस डायबिटीज को दूसरे डायबिटीज के तौर पर ही देखा जाता था । 7 अप्रैल को बैंकॉक में डायबिटीज पर 75वीं बैठक में इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई ।

TYPE 5 डायबिटीज TYPE-1 और TYPE-2 डायबिटीज से काफी अलग है । ये डायबिटीज खासतौर से किशोर और युवाओं से जुड़ी है । यानी जिनकी उम्र 10 साल से लेकर 24 साल के बीच है । 

TYPE 5 डायबिटीज गरीब और कम आमदनी वाले देशों में देखने को मिल रही है । दुनिया भर में लगभग 2 से 2.5 करोड़ लोगों को अभी ये डायबिटीज है । यह बीमारी एशिया और अफ्रीका में सबसे ज्यादा है । भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, युगांडा, इथियोपिया, रवांडा जैसे कई देशों में इसकी रिपोर्ट की गई है। 

TYPE 5 डायबिटीज की मुख्य वजह कुपोषण को बताया गया है । इसमें इंसुलिन का स्तर बेहद कम होता है और मेटाबॉलिज्म भी खराब हो सकता है । 

TYPE 5 डायबिटीज दुबले-पतले और उन युवाओं और किशोरों को होती है जिनको बेहतर भोजन नहीं मिल रहा है । अगर बच्चा जन्म से पहले और बाद में कुपोषित रहता है, तो उसे भी TYPE 5 डायबिटीज हो सकती है । 

टाइप 5 डायबिटीज के कुछ प्रमुख लक्षण है, लगातार थकान होना, शरीर का सही से विकास नहीं होना, बार-बार संक्रमण होना, घाव जल्दी ठीक नहीं होना याददाश्त कमजोर होना, बहुत ज्यादा प्यास लगना, भूख नहीं लगना या बिना किसी वजह से वजन कम होना या वजन नहीं बढ़ना ।

अब तक ये ये भी माना जाता रहा है कि डायबिटीज उम्र ज्यादा होने पर ही होती है । लेकिन बीते दो दशक में देश में डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़े हैं । 

वर्ष 2000 में देश में डायबिटीज के 3 करोड़ मामले थे । आज देश में करीब 8 करोड़ लोग डायबिटीज से बीमार है । अनुमान तो ये है कि 2045 तक 13 करोड़ से ज्यादा भारतीयों को डायबिटीज हो जाएगी । सबसे ज्यादा डायबिटीज बढ़ने के मामले गोवा, पुदुचेरी, केरल में है । तो सबसे कम डायबिटीज बढ़ने के मामले मध्य प्रदेश, बिहार, अरुणाचल प्रदेश में हैं । 

कई रिपोर्ट्स के मुताबिक चेन्नई और दिल्ली जैसे शहरों में 20 वर्ष और उससे अधिक आयु के युवाओं में करीब 22-24% डायबिटीज है । इन शहरों में 55 वर्ष की आयु तक करीब 40% को मधुमेह होता है और 35% को प्री-डायबिटीज होती है । गांवों में खासतौर पर बिहार और झारखंड जैसे कुछ राज्यों में डायबिटीज की दर अभी भी कम है । दक्षिणी राज्यों के गांवों में डायबिटीज बहुत तेजी से बढ़ी है और यहां अब यह 14-18% के बीच है ।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने