हिंदी भवन में ‘हिन्दी की गूंज’ का 13वाँ वार्षिकोत्सव: हिंदी के प्रचार-प्रसार और सम्मान का जीवंत आयोजन

नई दिल्ली: देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था 'हिन्दी की गूंज' ने गत दिवस हिंदी भवन के सभागार में अपना 13वाँ वार्षिकोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस अवसर पर पूरा सभागार 'हिंदीमय' हो गया, जो माँ हिंदी के प्रति संस्था की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

कार्यक्रम का शुभारंभ भावना अरोड़ा द्वारा प्रस्तुत मनमोहक सरस्वती वंदना से हुआ, जिसके बाद कार्यक्रम अंत तक अपनी जीवंतता बनाए रहा। वरिष्ठ साहित्यकार जनार्दन मिश्र ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।


वरिष्ठ अतिथियों ने किया संस्था के कार्यों की सराहना

मंचासीन अतिथियों में सुभाषचन्द्र कानखेडिया, डॉ. रवि शर्मा मधुप, और साहित्यकार श्याम सुशील शामिल थे, जिन्होंने 'हिन्दी की गूंज' के उत्कृष्ट कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। संस्था के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार के व्यक्तित्व और हिंदी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए, सारस्वत अतिथियों ने संस्था को बुलंदियों तक पहुँचाने के लिए पूरे परिवार की एकजुटता को श्रेय दिया।

शशि प्रकाश ने अपने वक्तव्य में संस्था की विकास यात्रा का "गागर में सागर" भरते हुए दर्शकों में आदर भाव जगाया, वहीं लौह कुमार ने हिंदी को रोजगार से जोड़ने के मंत्र से हिंदी भाषा को सम्मानित किया।

कला, काव्य और सम्मान

कार्यक्रम का संचालन खेमेन्द्र सिंह और डॉ. वर्षा सिंह ने अत्यंत कुशलता से किया, जिन्होंने पूरे आयोजन को निर्धारित समय सीमा में बाँधते हुए उसे रसमय बना दिया। कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाने के लिए माधुरी शर्मा, रमेश गंगेले, महिपाल सिंह, डॉ. रानी गुप्ता, डॉ. विनोद चौहान 'प्रसून' और तरुणा पुंडीर द्वारा प्रस्तुत गीत, ग़ज़ल और कविताओं ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।

इस अवसर पर काष्ठ शिल्पी जीवन जोशी द्वारा संस्था के लिए प्रस्तुत कलाकृति की भी सभी ने मुक्तकंठ से सराहना की।

ग्यारह विभूतियों का सम्मान

संस्था ने अपनी पिछले बारह वर्षों की परंपरा को कायम रखते हुए हिंदी और समाज सेवा से जुड़े ग्यारह लोगों को सम्मानित किया और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अपनी प्रतिबद्धता का निर्वहन किया।

कार्यक्रम का समापन संस्था के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार के "विश्व के भाल पर हिंदी की बिंदी लगाने" के उद्घोष और राष्ट्रीय गान के साथ हुआ। इस सफल आयोजन में रामकुमार पांडेय, डॉ. प्रियंका साँखला, डॉ. ममता सिंह, आफताब अंसारी, विद्यासागर, डॉ. वीर सिंह रावत, डॉ. चन्द्र भान, रजनीकांत शुक्ल और गिरीश चन्द्र जोशी आदि की भूमिका उल्लेखनीय रही।

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