समीक्षा: इंजीनियर ए.के. वर्मा द्वारा लिखित "श्रीमद्
भगवद् गीता (मूल श्लोक संस्कृत में) के अंग्रेजी परिवर्तन और अर्थ"
हिंदू आध्यात्मिक साहित्य के अमर ग्रंथ श्रीमद् भगवद् गीता को
आम पाठकों के लिए सुलभ बनाने की दिशा में इंजीनियर ए.के. वर्मा की यह पुस्तक एक
सराहनीय प्रयास है। इस पुस्तक में गीता के 701 श्लोकों का अंग्रेजी में परिवर्तन
(ट्रांसलिटरेशन) और उनके अर्थ (ट्रांसलेशन) को शामिल किया गया है, जो संस्कृत से अनभिज्ञ पाठकों के लिए एक
अनमोल उपहार है।
पुस्तक का आरंभ प्राम्भिक लेख और प्रस्तावना से होता है, जो गीता के गहन दर्शन और अध्ययन के
तरीकों से पाठकों को परिचित कराता है। 18
अध्यायों में विभाजित इस ग्रंथ में "अर्जुन विशाद योग" से लेकर
"मोक्ष-संन्यास योग" तक विभिन्न दार्शनिक विषयों को विस्तार से समझाया
गया है। विषय-सूची में प्रत्येक अध्याय के श्लोकों की संख्या और पृष्ठ संख्या का
स्पष्ट उल्लेख इसे उपयोगी और व्यवस्थित बनाता है।
पुस्तक का मुख्य आकर्षण यह है कि इसमें संस्कृत श्लोकों को
अंग्रेजी में परिवर्तित कर उनके अर्थ को सरल और समझने योग्य भाषा में प्रस्तुत
किया गया है। यह न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक खोज करने वालों के लिए
भी प्रेरणादायक साबित हो सकता है। लेखक ने गीता के श्लोकों को समझने और उनके गूढ़
अर्थ को आत्मसात करने के लिए तीन तरीके सुझाए हैं: मूल संस्कृत पाठ का अध्ययन, अंग्रेजी परिवर्तन के साथ चिंतन, और अर्थ पर ध्यान। यह दृष्टिकोण पाठकों
को गीता के दार्शनिक और व्यावहारिक पहलुओं को गहराई से समझने में सहायक है।
पुस्तक की प्रस्तुति और पारंपरिक छवियों का चयन इसे आकर्षक
बनाता है,
हालाँकि कुछ आधुनिक पाठकों को यह शैली
थोड़ी पारंपरिक लग सकती है। फिर भी, इसके
गहन शोध और सरल भाषा शैली के कारण यह पुस्तक भारतीय संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिकता में रुचि रखने
वालों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है। कुल मिलाकर, इंजीनियर ए.के. वर्मा की यह कृति गीता
के ज्ञान को आधुनिक युग में पहुँचाने का एक प्रशंसनीय प्रयास है, जो हर उत्साही पाठक के लिए अनुशंसनीय
है।