सोशल मीडिया का गंभीर मानसिक प्रभाव

कुलविंदर सिंह
 आज के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हम सुबह उठते ही सबसे पहले मोबाइल स्क्रीन पर नोटिफिकेशन चेक करते हैं औरमानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव: एक गहराई से विश्लेषण दिन खत्म होने तक बार-बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर स्क्रॉल करते रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव कितना गहरा हो सकता है? यह केवल एक मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि हमारी सोच, भावनाओं और व्यवहार पर सीधा असर डालने वाला माध्यम बन चुका है।

1. सोशल मीडिया का बढ़ता आकर्षण और मानसिक सेहत

पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया के यूज़र्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर (X), और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म न केवल जानकारी और मनोरंजन का स्रोत हैं, बल्कि ये लोगों को जुड़ने का माध्यम भी प्रदान करते हैं। हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव इस जुड़ाव के पीछे छुपे नकारात्मक पहलुओं को भी उजागर करता है। लगातार स्क्रॉल करने की आदत, दूसरों से तुलना, और लाइक्स व कमेंट्स के जरिए मान्यता पाने की चाह कई बार तनाव और चिंता का कारण बन जाती है।

2. तुलना की संस्कृति और आत्म-सम्मान पर असर

सोशल मीडिया पर लोग अक्सर अपनी जिंदगी के केवल सुनहरे पल साझा करते हैं, जिससे दूसरों को लगता है कि उनकी जिंदगी कमतर है। इस तुलना की आदत से आत्म-सम्मान घटता है और अवसाद (डिप्रेशन) जैसी समस्याएं जन्म ले सकती हैं। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव सबसे अधिक तब पड़ता है जब व्यक्ति अपनी वास्तविकता की तुलना किसी और की सजाई-संवरी ऑनलाइन छवि से करने लगता है।

3. लाइक्स और कमेंट्स का दबाव

सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद हम अक्सर लाइक्स और कमेंट्स का इंतजार करते हैं। ये डिजिटल रिवॉर्ड्स हमारे दिमाग में डोपामिन नामक हार्मोन को सक्रिय करते हैं, जिससे हमें अच्छा महसूस होता है। लेकिन जब उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो यह निराशा और असुरक्षा की भावना को बढ़ा सकता है। इस तरह, मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव हमारे मूड और आत्म-छवि को सीधे प्रभावित करता है।

4. नींद की गुणवत्ता में गिरावट

रात को सोने से पहले फोन पर स्क्रॉल करने की आदत नींद की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करती है। स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट दिमाग को सक्रिय रखती है, जिससे नींद आने में देरी होती है। नींद की कमी का असर मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा पड़ता है और तनाव, चिड़चिड़ापन व एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव केवल दिन के समय ही नहीं, बल्कि रात की नींद पर भी पड़ता है।

5. साइबरबुलिंग और नकारात्मक टिप्पणियां

सोशल मीडिया के खुले मंच पर हर कोई अपनी राय रख सकता है, लेकिन कभी-कभी यह राय नफरत भरे कमेंट्स या साइबरबुलिंग का रूप ले लेती है। विशेषकर किशोर और युवा ऐसे नकारात्मक अनुभवों से ज्यादा प्रभावित होते हैं। लगातार आलोचना और ट्रोलिंग से आत्मविश्वास टूट सकता है, और यह डिप्रेशन व एंग्जाइटी का कारण बन सकता है। स्पष्ट है कि मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव इस तरह की नकारात्मक इंटरैक्शन से और भी गंभीर हो जाता है।

6. जानकारी का बोझ और तनाव

हर दिन सोशल मीडिया पर लाखों पोस्ट, वीडियो और आर्टिकल अपलोड होते हैं। इतनी अधिक जानकारी का सामना करना कभी-कभी मानसिक थकान का कारण बन जाता है। जानकारी के इस बोझ से दिमाग ओवरलोड हो जाता है और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में, मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव एक और रूप में सामने आता है—मानसिक थकान और तनाव के रूप में।

7. सकारात्मक पहलू भी हैं

हालांकि नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट हैं, लेकिन यह कहना गलत होगा कि सोशल मीडिया पूरी तरह हानिकारक है। सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह हमें दोस्तों और परिवार से जोड़े रखता है, नई चीजें सिखाता है, और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में सोशल मीडिया का योगदान महत्वपूर्ण है। इस तरह, मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव सकारात्मक भी हो सकता है, अगर इसे संतुलित तरीके से इस्तेमाल किया जाए।

8. संतुलित उपयोग के लिए सुझाव

अगर आप चाहते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव नकारात्मक न हो, तो कुछ आसान आदतें अपनाई जा सकती हैं:

स्क्रीन टाइम को सीमित करें।

रात को सोने से पहले फोन का इस्तेमाल कम करें।

सोशल मीडिया डिटॉक्स के लिए हफ्ते में एक दिन ब्रेक लें।

सकारात्मक और प्रेरणादायक कंटेंट ही फॉलो करें।

नकारात्मक टिप्पणियों को अनदेखा करना सीखें

9. युवा पीढ़ी और मानसिक स्वास्थ्य

आज के युवा सोशल मीडिया के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। उनका अधिकांश समय ऑनलाइन बिताने में जाता है, जिससे उनके व्यक्तित्व और मानसिक स्थिति पर सीधा असर पड़ता है। खासकर किशोरावस्था में, जब पहचान बनाने और सामाजिक स्वीकृति पाने की चाह सबसे ज्यादा होती है, मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव और भी गहरा हो सकता है।

सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार की तरह है—सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह ज्ञान, जुड़ाव और मनोरंजन का माध्यम बन सकता है, लेकिन अति करने पर यह चिंता, अवसाद और आत्म-संदेह का कारण बन सकता है। इसलिए, हमें यह समझना होगा कि मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव हमारे हाथ में है। संतुलित उपयोग, सही कंटेंट का चयन, और समय-समय पर डिजिटल डिटॉक्स ही इस प्रभाव को सकारात्मक बनाए रखने की कुंजी है।

लेखक कुलविंदर सिंह संधू

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