"यह 1988 के बाद की सबसे भयंकर बाढ़ है। पूरा देश इस वक्त पंजाब के साथ खड़ा है।" — मुख्यमंत्री भगवंत मान
बाढ़ की भयावहता
पंजाब, जिसे अक्सर भारत की "अनाज की टोकरी" कहा जाता है, आज एक भयानक प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा है। लगातार हो रही भारी बारिश और नदियों में उफान के कारण आई इस बाढ़ ने अब तक 40 लोगों की जान ले ली है और 1,350 से अधिक गांव पानी में डूब गए हैं। राज्य की लगभग तीस लाख की आबादी में से 350,000 से अधिक लोग इस आपदा से सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं .
सबसे ज़्यादा नुकसान गुरदासपुर और अमृतसर जिलों को हुआ है। गुरदासपुर के 325 गाँव और अमृतसर के 132 गाँव बाढ़ की चपेट में हैं। इन इलाकों में क्रमशः 145,000 और 117,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं .
🌾 कृषि और अर्थव्यवस्था को गहरा झटका
इस बाढ़ ने पंजाब की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। राज्य की 175,000 हेक्टेयर से अधिक उपजाऊ कृषि भूमि पानी में डूब गई है। केवल गुरदासपुर जिले में ही 100,000 एकड़ से अधिक की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। फसलों के नुकसान का अनुमान 600 से 700 करोड़ रुपये के बीच लगाया जा रहा है, और यह नुकसान फसल की कटाई के मौसम से ठीक पहले हुआ है, जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं .
आवास और संपत्ति पर मंडराया संकट
बाढ़ का आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों पर भी गहरा असर पड़ा है। नदियों के किनारे बने घर और निचले इलाकों की इमारतों को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है। कई घरों की नींव, फर्श और बिजली के उपकरण पूरी तरह से खराब हो गए हैं, जिससे उनमें रहना खतरे से खाली नहीं है। इस आपदा ने रियल एस्टेट मार्केट में अनिश्चितता की लहर पैदा कर दी है और संपत्तियों की बिक्री की गति काफी धीमी हो गई है .
बचाव और राहत कार्यों में जुटी सेनाएं
इस भयानक आपदा से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें पूरी तरह से तैयार हैं। 20,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाला जा चुका है और सैकड़ों राहत शिविरों में उनके रहने और खाने-पीने का इंतज़ाम किया गया है। भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना की टीमें बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। राहत कार्यों में 35 हेलीकॉप्टरों और 100 से अधिक नावों का इस्तेमाल किया जा रहा है .
इस तबाही के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि भविष्य में ऐसी आपदाओं से कैसे बचा जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि अब बाढ़-रोधी इमारतों के निर्माण और बेहतर शहरी नियोजन पर ज़ोर देना होगा। सरकार ने भी प्रभावितों के लिए वित्तीय सहायता, ब्याज मुक्त ऋण और बाढ़ प्रतिरोधी इमारतों के निर्माण के लिए प्रोत्साहन जैसे उपायों की घोषणा की है .
इसके अलावा, बेहतर जल निकासी प्रणाली, नदी तटबंधों को मजबूत करना और एक प्रभावी पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित करना भविष्य में ऐसी तबाही को रोकने की दिशा में अहम कदम हो सकते हैं
नोट: यह खबर विभिन्न विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। बाढ़ की स्थिति तेज़ी से बदल रही है और नए updates मिलते रहने के साथ आंकड़े बदल सकते हैं।
रिपोर्ट - कुलविंदर सिंह